Usha sharma

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लेखनी कहानी -19-Apr-2023

कहानी :तकदीर


"ये रात को हेडेक की दवाई खाने के बाद नींद बड़ी अच्छी आती है, इसलिए कि काम पर जाने के लिए सुबह नींद से जागना बड़ा दुश्वार लगता है.... पिछले एक महीने की तरह आज लड़का फिर देरी से आफिस पहुंचा था। 
ऑफिस पहुँचते ही वह लड़का अक्षत बुझे मन से अपने काम में लग गया,... वह सुबह से शाम तक लेपटॉप पर आँखें गडाये रहना यही उसका बोरिंग सा रूटीन हो गया था। 
...देर शाम तक उसी तरह काम करता रहता था ....तकरीबन आठ बजे वह अपनी बाइक से ऑफिस से घर के लिए निकलता था। 
 रास्ते में अचानक उसे अपनी पसंदीदा काॅफी शाॅप के सामने से गुजरते हुए मन मस्तिष्क में एक बिजली सी कौंध गई.... और अनायास ही उसके कदम उस शाॅप की तरफ बढ़े जा रहे थे।

अक्षत विचारमग्न सा अपनी पसंद वाली टेबल पर चुपचाप आकर बैठ गया था।
अचानक वेटर के कहने पर उसकी तंद्रा टूटी थी..., "सर आप कितने दिनों बाद और कहाँ थे आप ... और आज आपके साथ सलोनी मैम नहीं आई क्या?" 

वेटर के प्रश्नों के उत्तर में लगभग आधा घण्टा शांत बोझिल से बैठे हुए अक्षत के चेहरे पर उदासी की लहरें गहरी हो गईं थीं..बड़ी मुश्किल से उसने अपने आँसुओं को बाहर छलकने से रोकने का सफल प्रयास किया और गाल पर लुढ़कने से पहले ही पी लिए थे। .... बहुत मुश्किल से बस उसने वेटर को .. यही कहा कि, "सलोनी मैम तो हमेशा के लिए चली गई हैं"...... छःमहीने पहले की वो बातें उसे याद आ रही थीं .... जब इसी जगह सलोनी और वो शायद आखिरी बार कॉफी पीने आए थे... और उसके अगले ही दिन सलोनी उससे हमेशा के लिए दूर हो गई थी।
हां, आठ दिसंबर का ही तो वो मनहूस दिन था...जब तकदीर ने हमेशा के लिए सलोनी को छीन लिया था। 
... वो दोनों एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे और जल्द ही परिवार की रजामंदी से शादी भी करने वाले थे..परन्तु उनकी तकदीर को तो कुछ और ही मंजूर था।
उस दिन सलोनी के घर से जब आफिस में अचानक फोन आया तो बात करके वो बहुत परेशान हो गई थी और बाॅस से तुरंत घर जाने की परमीशन लेकर वह चली गई थी । 
ऑफिस टाइम में अक्षत उससे ज्यादा कुछ पूछ भी नहीं पाया था। सलोनी ने ट्रेन में से उसे काल करके बताया था कि, "माँ को हार्ट अटेक आया है और वो बहुत सीरियस भी हैं। बाकी चीजें मैं घर पर पहुँच कर बताती हूँ।" बस यही उसकी और सलोनी की आखिरी बात रह गई! 
उसके बाद तो उसका फोन कभी नहीं लगा।
करीब बीस दिन बाद आफिस में उसके नाम से एक खबर आई तो सुनकर उसके साथ साथ सभी के होश उड़ गए। 
  सलोनी के पिता का भेजा गया ये पत्र सलोनी के एक सड़क हादसे में मौत की पुष्टि कर रहा था। अक्षत तो सुनकर वही जड़ हो गया था। 
दोस्तों ने बड़ी मुश्किल से उसे संभाल लिया था... यही सोचते सोचते..... . वह सब लगभग दस बजे अपने घर पहुंचा जहां वह अकेला ही रहता था।
फ्रेश होकर बेमन से उसने अपने लिए मैगी बनाई और एक कप कॉफ़ी पीकर बिस्तर पर लेट गया, लेकिन उसकी आँखों में दूर दूर तक नींद का नामो निशान नहीं था.... था तो बस एक अनकहा दर्द..! 
    वह घंटे भर तक करवटें बदलता रहा और मोबाइल गैलरी में सलोनी की मुस्कुराती तस्वीर को देखकर मन ही मन यही बुदबुदाते लगता  "मैं तुमसे किये इस प्रेम में पहाड़ हो जाऊँगा और तुम नदी की तरह बह जाना अनंत, तकदीर में तुम्हारा साथ छूटना एक त्रासदी होगी पर एक सुख बचा रहेगा मुझमें कि तुम मुझमें से ही छूटी हो...!!" 

© उषा शर्मा 

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4 Comments

Gunjan Kamal

23-Apr-2023 07:59 PM

👏👌

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Priyanka06

20-Apr-2023 07:52 AM

बहुत ही बेहतरीन कहानी

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बहुत ही बेहतरीन और मार्मिक

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